Home आपकी बात विश्व हाथी दिवस: बरसात के दिनों में हाथियों को अपने दल से खदेड़ देती हैं हथिनी, बेहद दिलचस्प है इसकी वजह

विश्व हाथी दिवस: बरसात के दिनों में हाथियों को अपने दल से खदेड़ देती हैं हथिनी, बेहद दिलचस्प है इसकी वजह

by Naresh Sharma

रायगढ़। जंगल प्रकृति का एक बेहद ही खूबसूरत चेहरा है जंगल के हरे भरे पेड़ और जंगलों में कई प्रकार के जीव-जंतुओं के अलावा अनेकों प्रकार की पशु पक्षियों का आशियाना है। छत्तीसगढ़ का रायगढ़ जिला चारो तरफ घने जंगलों और पहाड़ों से घिरा हुआ है और यहां के जंगलों में कई तरह के वन्यप्राणी विचरण करते हैं। जंगली हाथियों की बात करें तो जिले के रायगढ़ व धरमजयगढ़ दोनों वन मंडलों में बीते कई सालों से जंगली हाथियों का उत्पात लगातार जारी है, इनकी लगातार बढ़ती संख्या ग्रामीणों के लिये समस्या बनी हुई है। हर साल 12 अगस्त को विश्व हाथी दिवस के रूप में मनाया जाता है और यह दिन हाथियों के संरक्षण और उनकी सुरक्षा के लिये कई प्रकार के जागरूक कार्यक्रम करके मनाया जाता है।
रायगढ़ जिले में जंगली हाथियों की मौजूदगी साल भर रहती है। रायगढ़ एक ऐसा जिला है जिसमें दो वन मंडल हैं। रायगढ़ व धरमजयगढ़ वन मंडल दोनों एक ही जिले में होनें से यहां जंगली हाथियों का आना जाना दोनों ही वन मंडल में लगा रहता है। रायगढ़ जिले का जंगल कोरबा एवं पड़ोसी राज्य ओडिसा के जंगलों से जुडा हुआ था, जिस वजह से इसे हाथियों का कारीडोर भी कहा जाता है। वर्तमान स्थिति की अगर बात करें तो अभी मौजूदा समय में दोनों वन मंडलों को मिलाकर जिले में कुल 108 हाथी अलग-अलग दलों में विचरण कर रहे हैं। जिसमें धरमजयगढ़ वन मंडल जहां 103 हाथी तो वहीं रायगढ़ वन मंडल में कुल 5 हाथी अलग-अलग दलों में विचरण कर रहे हैं।


हाथियों के दल पर एक नजर

हाथियों के इस दल में सबसे अधिक हाथी छाल रेंज के पुरूंगा बीट में 37 हाथी, लैलूंगा रेंज के कहरचुवां बीट में 21 हाथी, छाल रेंज के एडु बीट में 14 हाथी, कापू रेंज में 10 हाथी के अलावा अलग-अलग रेंज व बीट में हाथियों का दल विचरण कर रहा है। हाथियों के इस दल में नर हाथी 29, मादा हाथी 49 के अलावा 30 बच्चे शामिल हैं। रायगढ़ जिले के जंगलों में विचरण करने वाले हाथियों का दल कभी कोरबा तो कभी सरगुजा क्षेत्र के जंगलों में चले जाने के कारण इनकी संख्या में कभी कमी तो कभी बढ़ोतरी देखा जाता रहा है।


12 किसानों की फसलों को पहुंचाया नुकसान
बीती रात जंगली हाथियों ने 12 से अधिक जगहों में जमकर उत्पात मचाया है। जिसमें धरमजयगढ़ क्षेत्र के शेरबन में 04 किसानों की फसलों को नुकसान, छाल क्षेत्र के कुडेंकेला में 04 किसानांे की झटका मशीन एवं पाईप को नुकसान, छाल के पुरूंगा में 04 किसानांे की धान की फसल को नुकसान पहुंचाया गया है। जिले में हाथियों की बढ़ी हुई संख्या के कारण इस तरह के नुकसान के आंकड़े रोजाना आ रहे हैं।


ड्रोन कैमरे से रखी जाती है नजर
रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ वन मंडल के घने जंगलों में हाथियों की मौजूदगी हमेशा से ही अधिक रही है। इस वजह से हाथी मित्र दल एवं हाथी टैªकरों के द्वारा यहां हाथियों पर विशेष रूप से ड्रोन कैमरे के जरिये नजर रखी जाती है ताकि हाथी के हर मूवमेंट की जानकारी लेकर प्रभावित गांव के ग्रामीणों को सचेत किया जा सके। इस दौरान हाथियों के मस्ती करते हुए के अलावा नहाते हुए कई मनमोहन वीडियो भी अब तक ड्रोन कैमरे में कैद हो चुके हैं।
किया जाता है प्रचार-प्रसार
वन विभाग की टीम भी हाथी और मानव के बीच द्वंद्व को रोकने हाथी प्रभावित गांवों में लगातार प्रचार-प्रसार करते हुए हाथी विचरण करने वाले जंगलों में ग्रामीणों को किसी भी हाल में जंगल तरफ नही जाने की समझाईश दी जाती रही है ताकि किसी तरह की जनहानि की घटना घटित न हो। साथ ही साथ गांव-गांव में मुनादी कराकर हाथी से सावधानी बरतने की बात कही जाती है।


दल से भटकता नही हाथी
बताया जाता है कि नर हाथी दल से बिछड़ता नहीं है बल्कि बरसात के समय उनका उत्पात अधिक हो जाने के चलते मादा हथनियों जो कि हाथियों के दल की प्रमुख होती है उसके द्वारा ही उस नर हाथी को त्रदल से खदेड दिया जाता है जो कि कुछ समय बाद पुनः अपने दल में वापस मिल जाता है।


फसलों से प्रभावित होते हैं हाथी
जानकार लोगों का कहना है कि हाथियों में सूंघने की शक्ति अधिक होती है इस वजह से जंगलों में विचरण करने वाले हाथी अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में लगे फसलों केला, गन्ना, कटहल, धान से प्रभावित होकर गांव तक पहंुच जाते हैं और यहां उत्पात मचाकर वापस जंगलों में लौट जाते हैं।


हाथियों के चिंघाड से गूंजता है गांव
हाथी प्रभावित कई गांव ऐसे है जहां शाम ढलते ही हाथियांे के चिंघाड से पूरा का पूरा गांव गूंज उठता है और फिर ग्रामीण अपनी जान बचाने मशाल जलाकर रतजगा करने पर विवश हो जाते हैं। गांव मंे हाथी आने की जानकारी मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंचकर काफी मशक्कत के बाद हाथी को वापस जंगल में खदेडा जाता है।


झटका मशीन का करते हैं उपयोग
एक अन्य जानकारी के मुताबिक धरमजयगढ़ वन परिक्षेत्र के कई किसान ऐसे भी जो जंगली हाथियों से अपनी फसलों को बचाने के लिये झटका मशीन का उपयोग करते हैं ताकि जंगली हाथी जब उनके खेतों में धान की फसल को खाने पहुंचते है तब तार के संपर्क में आते ही हल्का सा हटका लगने पर जंगली हाथी वापस भाग जाते हैं इस झटका मशीन से जंगली हाथियों को किसी प्रकार की कोई हानि नही होती।


हाथी मानव द्वंद्व रोकने की गई पहल
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी मन की बात में छत्तीसगढ़ में हाथियों के लिए शुरू किये गये रेडियो कार्यक्रम ‘हमर हाथी हमर गोठ’ का जिक्र किया था। 2017 में छत्तीसगढ़ में हाथी और मानव के बीच द्वंत और उनके आतंक को कम करने के उद्देश्य से आकाशवाणी के रायपुर केंद्र से ‘हमर हाथी-हमर गोठ’ कार्यक्रम का प्रसारण किया गया।

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