Desk News: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का ऐतिहासिक मिशन चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3 Mission) चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर चुका है। चंद्रयान 3 का उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग करने का है। इसरो ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से चंद्रयान 3 को 14 जुलाई को लॉन्च किया था। चंद्रयान 3 23 अगस्त तक चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कर सकता है।
अगर इसने लैंडर और रोवर चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया तो भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव या साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश बन जाएगा। इसके साथ ही अमेरिका, रूस और चीन के बाद चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला भारत चौथा देश होगा। इस मिशन के तहत चांद के उस इलाके के बारे में जानने की कोशिशें की जाएंगी जो अभी तक रहस्य है। चंद्रमा पर दक्षिणी ध्रुव एक ऐसा स्थान है जो विज्ञान में रूचि रखने वालों के लिए हमेशा से रहस्य रहा है। आइए इसके रहस्य के बारे में जानते हैं।
चांद का ठंडा इलाका
वैज्ञानिकों के लिए चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव हमेशा विशेष रुचि का विषय रहा है। इस जगह के कुछ इलाके में छाया रहती है, कुछ में अंधेरा। छाया वाले इलाके को लेकर कहा जाता है कि यह पर बर्फ जमी है। चांद के दक्षिणी ध्रुव इलाके में कई गड्ढे ऐसे हैं, जिनमें के अंदरूनी हिस्से में सूरज की रोशनी नहीं जाती है।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने दावा किया है कि अरबों सालों से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के कुछ गड्ढों पर सूरज की रोशनी नहीं पहुंची है। इस जगह पर तापमान -203 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है।
खुल सकता है बड़ा रहस्य
इसके कारण चंद्रमा पर स्थित यह गड्ढे बहुत ठंडे हैं। नासा के मुताबिक, इस स्थान पर हाइड्रोजन, बर्फ और बाकी वाष्पशील पदार्थों का ऐसा जीवाश्म रिकॉर्ड है जिनका सौर मंडल के शुरू होने से जुड़ाव है। बहुत अधिक ठंड और तापमान के कारण चांद के इस इलाके में बहुत सालों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। नासा की तरह से कहा जात है कि यह वह स्थान है जिसे पता चल सकता है कि जीवन की शुरुआत कैसे हुई होगी। बीते कई सालों से दुनिया के अलग-अलग देशों ने मिशन के जरिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के बारे में जानने की कोशिश है।
गड्ढों का रहस्य
कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के नीचे, पूरे सौर मंडल में बने सबसे बड़े प्रभाव वाले गड्ढे मौजूद हैं और इनके नीचे कोई विशाल चीज छिपी हुई है। वैज्ञानिकों को इसके बारे में जानकारी नहीं है कि इनके नीचे क्या चीज हो सकती है।
हालांकि उनका मानना है कि निश्चित रूप से यह इतना विशाल है कि चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल पर प्रभाव डाल सकता है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी अभी तक इसके रहस्य को नहीं सुलझा पाई है। नासा ने अपने मानव मिशन आर्टमिस III की घोषणा की है जिसके माध्यम से वह साउथ पोल की 14 जगहों का अध्ययन करेगा।