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भाजपा-कांग्रेस दोनों की हालत खराब, कहीं निर्दलीय प्रत्याशी न जीत जाए चुनाव, प्रकाश नायक के पिछले कार्यकाल का जवाब देने के मूड में जनता…..पढ़िये पूरी खबर

by Naresh Sharma

रायगढ़। पहले चरण का चुनाव सम्पन्न हो चुका है, अब दूसरे चरण का मतदान होना बाकी रह गया है। इस लिहाज से रायगढ़ विधानसभा में भाजपा-कांग्रेस दोनों ही पार्टी के प्रत्याशियों के अलावा निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी भी पूरी ताकत के साथ डोर टू डोर जनसंपर्क करके माहौल बनाने में जुटे हुए हैं। परंतु जनसंपर्क के दौरान भाजपा-कांग्रेस दोनों ही प्रत्याशी के पक्ष में पार्टी के अन्य नेताओं की मौजूदगी न होना किसी बड़े उलटफेर होने की आशंका को बल दे रही है।

यूं तो 2018 विधानसभा चुनाव में विजय अग्रवाल के निर्दलीय चुनाव लड़ने का एकतरफा फायदा प्रकाश नायक को मिला, और वे रायगढ़ विधानसभा सीट से विधायक बने। परंतु प्रकाश नायक इस मौके का फायदा उठाने में नाकामयाब रहे। रायगढ़ विधानसभा की जनता प्रदेश में कांग्रेस की सरकार रहते हुए भी मूलभूत समस्याओं से पूरे 5 सालों तक जूझती रही। 5 सालों में किसी बड़ी उपलब्धि के बारे में बात करना दूर की बात है। ऐसे में अब जनता कांग्रेस पार्टी के प्रति नाराज दिखने लगी है।

आमजनता हुए निराश
प्रकाश नायक के कार्यकाल में अमृत मिशन योजना के तहत पूरा शहर गड्ढों में तब्दील हो गया, पीने के साफ पानी के लिए जनता को सड़क पर उतरकर आंदोलन का रुख अख्तियार करना पड़ा, शहर के अंदर एवं शहर से बाहर जाने वाले जर्जर मार्गो की वजह से कईयों ने अपनी जान गवाईं, नियमित साफ-सफाई के अभाव में अभी भी शहर की जनता डेंगू से जूझ रही है। पढ़े लिखे स्थानीय युवा आज भी रोजगार के दर दर की ठोकरें खा रहे हैं, भू-अधिग्रहण में अपनी जमीन गवाने के बावजूद किसान पुत्रों को अपने हक की लड़ाई स्वयं लड़नी पड़ रही।

2018 के वादे अधूरे
चुनावी घोषणा पत्र की अगर बात की जाए तो साफ तौर पर देखा जा सकता है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में किन किन घोषणाओ के तहत प्रकाश नायक जनता तक पहुँच कर उनका समर्थन मांगे थे और चुनाव जीतने के बाद कितने घोषणा को पूरा किए हैं। इसे लेकर भी रायगढ़ विधानसभा की जनता प्रकाश नायक से नाराज हैं, आम नागरिकों का कहना था कि नेता जी 2018 के घोषणा को पूरा करने में विफल रहे, उन्हें दोबारा मौका किस लिहाज से दिया जाए।

एकला चलो की तर्ज पर जनसंपर्क
भाजपा के प्रत्याशी ओपी चौधरी एवं कांग्रेस प्रत्याशी प्रकाश नायक दोनों को ही पार्टी से टिकट मिलने के बाद इन्होंने पूरी ताकत के साथ जनसंपर्क अभियान की शुरुआत कर चुके हैं और शहर के गली मोहल्लों के अलावा गांव-गांव पहुंच कर जनता का समर्थन जुटाया जा रहा है। मगर इसमें आश्चर्य की बात ये है कि टिकट घोषणा होने से पहले जो-जो नेता इस रेस में शामिल थे और वे नेता जो आये दिन विज्ञप्ति जारी करके अपनी सक्रियता का परिचय देते थे वे अचानक से गायब हो गए हैं। ऐसे में पार्टी प्रत्याशी एकला चलो की तर्ज पर जनता का समर्थन पाने में जुए हैं।

निर्दलीय प्रत्याशी ज्यादा हावी
इस बार के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों ने पार्टी प्रत्याशियों के चेहरों में चिंता की लकीर उकेर दी है। भाजपा से बागी होकर चुनाव लड़ने वाली गोपिका भाजपा से जुड़े रहते हुए शहर के साथ साथ ग्रामीण अंचलों में अच्छी खासी पैठ बना ली है। साथ ही साथ उन्हें कोलता समाज का भी समर्थन मिलते दिख रहा है। ठीक इसी तर्ज पर कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले शंकर लाल अग्रवाल पिछले कई सालों से पार्टी से जुड़े रहते पार्टी के दिये कार्यो को बखूबी से करते आ रहे थे। साथ ही साथ समाजसेवा करते हुए आमजन में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं, कांग्रेस पार्टी से टिकट नही मिलने से नाराज शंकरलाल अग्रवाल अब निर्दलीय चुनाव मैदान में उतार चुके हैं और उन्हें भी जनता का भरपूर समर्थन मिल रहा है।

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