Home आपकी बात विधायक लालजीत की उपस्थिति में अपने ही पार्टी के निवर्तमान बीडीसी के खिलाफ बोलकर फंसे कांग्रेस ब्लाक अध्यक्ष , सतनामी समाज पर टिप्पणी से भड़के लोग, थाने में दिया ज्ञापन किए कार्रवाई की मांग

विधायक लालजीत की उपस्थिति में अपने ही पार्टी के निवर्तमान बीडीसी के खिलाफ बोलकर फंसे कांग्रेस ब्लाक अध्यक्ष , सतनामी समाज पर टिप्पणी से भड़के लोग, थाने में दिया ज्ञापन किए कार्रवाई की मांग

by Naresh Sharma

रायगढ़। चुनावी दौर में नेताओं के बोल बिगड़ना लाजमी है परंतु कांग्रेस पार्टी में नेताओ की कारस्तानी इससे भी ऊपर है। आलम यह है कि बीडीसी प्रत्याशी के प्रचार के दौरान धरमजयगढ़ विधायक लालजीत की उपस्थिति में ही घरघोड़ा ब्लाक कांग्रेस के अध्यक्ष ने अपने ही पार्टी के निवर्तमान बीडीसी के खिलाफ उल जुलुल उद्बोधन कर जनता को संबोधित करना भारी पड़ गया। इसके अलावा उक्त वक्तव्य में सतनामी समाज पर टिप्पणी से समाज के लोग भी आक्रोश जाहिर कर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने आवेदन दिए है।

घरघोड़ा ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष शिव कुमार शर्मा द्वारा ग्राम वैहमुडा (घरघोड़ा) में एक सार्वजनिक मंच से संबोधन के दौरान संविधान द्वारा प्रतिबंधित शब्द “हरिजन का प्रयोग किया गया।

यह शब्द भारतीय संविधान के अनुच्छेद 17 तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत प्रतिबंधित है। भारत सरकार ने 28 मार्च 2008 को एक अधिसूचना जारी कर सरकारी दस्तावेजों व सार्वजनिक जीवन में इस शब्द के उपयोग पर रोक लगाई थी, क्योंकि यह अनुसूचित जाति वर्ग विशेषकर सतनामी समाज की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला व अपमानजनक माना जाता है।

शिव कुमार शर्मा, जो कि पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष श्रीमती आशा शर्मा के पति हैं. एक जिम्मेदार जनप्रतिनिधि होने के बावजूद इस प्रकार का असंवैधानिक, आपत्तिजनक एवं समाज को विभाजित करने वाला कृल्य कर रहे हैं। उनका यह कृत्य अनुसूचित जाति वर्ग के व्यक्तियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के साथ-साथ, समाज में वर्ग संघर्ष एवं वैमनस्यता को जन्म देने वाला है।

इस बयान के कारण सतनामी समाज सहित सम्पूर्ण अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों में गहरा आक्रोश व्याप्त है। समाज के कमजोर वर्गों को मानसिक पीड़ा पहुंचाने एवं संवैधानिक अधिकारों का हलन करने के इस गंभीर अपराध के विरुद्ध तत्काल कानूनी कार्रवाई किया जाता अत्यंत आवश्यक है, जिससे भविष्य में कोई भी व्यक्ति इस प्रकार के प्रतिबंधित शब्दों का उपयोग कर समाज की एकता व गरिमा को ठेस ना पहुंचा सके।

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