रायगढ़। रायगढ़ जिले के पुसौर ब्लाक में स्थित ग्राम बड़े भंडार में चल रहे अडानी पावर के विस्तार जल्द होना है और इसकी जनसुनवाई जुलाई माह के प्रथम सप्ताह में होनें जा रही है जिसको लेकर जो आपत्तियां जोर शोर से उठनी चाहिए उसको लेकर क्षेत्र के नेताओं के अलावा अधिकारियों की जुबान पर भी ताला लग गया है। इतना ही नही समय-समय पर विज्ञप्ति के जरिये विरोध जताने वाले कथित पार्टी नेताओं की भी चुप्पी कई संदेहों को जन्म दे रही है। जबकि अडानी पावर प्लांट के विस्तार से न केवल पुसौर ब्लाक के लोगों के लिये जहर उगलती चिमनियां स्वास्थ्य से खुलकर खिलवाड करेगी इसके अलावा क्षेत्र के लोगों को न केवल ठगा जाएगा बल्कि वहां के बेरोजगारों के सपनों को भी चकनाचूर करने के लिये यह उद्योग एक नया मुकाम हासिल करेगा।
जुलाई के प्रथम सप्ताह में होनें वाली अडानी पावर प्लांट की जन सुनवाई के विरोध के स्वर अंदर ही अंदर जरूर सुलग रहे हैं और क्षेत्र के लोग इस बड़े पावर प्लांट की पकड को देखते हुए सड़क पर नही आ रहे हैं और उन नेताओं का इंतजार कर रहे हैं जो उनका नेतृत्व करते हुए इसके विस्तार के लिये होनें वाली जन सुनवाई में उनके लिये आवाज बनकर उभरे, पर रायगढ़ जिले के कई उद्योगों की जनसुनवाई का विरोध करने वाले नेताओं ने अपनी चुप्पी साध ली है। कारण स्पष्ट है कि वे छोटे मोटे उद्योग के खिलाफ तो बकायदा विज्ञप्ति जारी करके उसकी ईआईए रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए क्षेत्र के लोगों के साथ होनें वाले स्वास्थ्य संबंध खिलवाड व बढ़ती दुर्घटनाओं के अलावा कोयले के परिवहन से पूरे इलाके में दिन व रात दहशत फैलाते परिवहन को लेकर कोई सवाल नही उठाये जा रहे हैं। जुलाई के प्रथम सप्ताह में इस अडानी उद्योग की जन सुनवाई में कई सवाल ऐसे है जिनका जवाब शासन के अधिकारियों के पास नही है चूंकि पहले यह उद्योग फ्लाईएश के निस्तार तथा प्रदूषण फैलाने के मामले में भी चर्चा में आ चुका है।
एक जानकारी के अनुसार अडानी पावर प्लांट से पहले यह उद्योग कोरबा वेस्ट पावर प्लांट के नाम से संचालित था जहां घटिया निर्माण व सुरक्षा को दरकिनार करके सैकडो फीट उंची चिमनी बनाकर उद्योग चलाने की कोशिश कर रहा था लेकिन चिमनी गिरने की घटना में एक दर्जन से भी अधिक लोगों की मौत से यहां की मिट्टी खुन से रंगी हुई है और अब अडानी कंपनी ने इस उद्योग को खरीदकर अपने नाम कर लिया है जिसके बाद इसका विस्तार की शुरूआत हो चुकी है जिसके कारण पुसौर ब्लाक के दर्जनों गांव न केवल भीषण प्रदूषण की चपेट में आयेंगे बल्कि कोयले के परिवहन के लिये 24 घंटे मौत बनकर सड़क में चलने वाले डंफरों से भी दुर्घटनाओं का आंकडा कई गुना बढ़ जाएगा। साथ ही साथ क्षेत्र के बेरोजगार को रोजगार देने के लिये इस कंपनी के पास कोई एजेंडा नही है जिसके कारण निराश पुसौर ब्लाक के लोग अब विरोध करने के लिये कभी भी सामने आ सकते हैं।