Home आपकी बात होली मनाई तो बाघ उठा ले जायेगा, इस भय से पांच गांव में नही मनाई जाती होली, कई दशकों से चली आ रही परंपरा

होली मनाई तो बाघ उठा ले जायेगा, इस भय से पांच गांव में नही मनाई जाती होली, कई दशकों से चली आ रही परंपरा

by Naresh Sharma

रायगढ़. रंग गुलाल का पर्व होली जहां पूरे देश में हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है वहीं छत्तीसगढ़ के नवगठित सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले का ऐसा गांव है जहां कई दशकों से होली का त्यौहार नही मनाया जाता।


मिली जानकारी के मुताबिक बरमकेला ब्लाक के अंतर्गत आने वाला हट्टापाली पंचायत सहित उसके आसपास के पांच ऐसे गांव जगदीशपुर, मंजुरपाली, छिंदपतेरा, हट्टापाली व आमलीपाली है जहां होली का पर्व नही मनाया जाता। यहां न तो होलिका दहन किया जाता है और न ही रंग गुलाल खेला जाता है। यहां के बुजुर्गो की मानें तो यह पर्व मनाने से गांव में अशुभ घटना घटित होती है जिसका खामियाजा पूरे गांव को भुगताना पड़ता है। जिसके भय से वे पिछले कई दशकों पूर्व से होली का पर्व नही मनाते।


गांव में होली का पर्व नही मनाने के पीछे गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि कई दशकों पहले गांव के बैगा को सपने में देवी ने होली नही मनाने की बात कही थी। लेकिन बैगा ने इसे सपना समझ कर अनदेखा कर दिया था और सुबह होनें से पहले गांव के लोग होलिका दहन की तैयारी कर रहे थे इसी बीच जंगलों से निकलकर एक बाघ गांव पहुंचा और बैगा का उठाकर वापस जंगल की ओर चला गया। इस नजारे को देखकर गांव के अन्य लोगों के पैरों के नीचे जमीन खिसक गई। इस घटना के बाद अगले साल फिर से गांव के लोगों ने होली मनाया तब उस साल गांव में सूखा पड़ गया। जिसके बाद से गांव के ग्रामीणों ने एकजुट होकर होली मनाने तौबा कर ली। गांव के ग्रामीणों ने बताया कि उनके जन्म से पहले गांव में होली नही मनाते। उनके बुजुर्गो के द्वारा गांव में होली नही मनाने की परंपरा की शुरूआत की गई है जिसका वे निर्वहन करते आ रहे हैं।


घने जंगलों से घिरा है गांव
बरमकेला ब्लाक के अंतर्गत आने वाले जगदीशपुर, मंजुरपाली, छिंदपतेरा, हट्टापाली व अमलीपाली गांव पूरी तरह जंगलों से घिरे हैं और यहां के जंगलों में कई प्रकार के वन्य प्राणियों विचरण करते हैं। यहां के ग्रामीण खेती किसानी करके अपना जीवन यापन करते आ रहे हैं। यहां के ग्रामीण होली पर्व के अलावा अन्य सभी तीज त्यौहार बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाते हैं।

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