बिलासपुर। जांजगीर- चांपा जिले से 11 हाथियों का दल बिलासपुर जिले में पहुंच गया है। सोमवार की देररात नीलागर नदी पार कर जैसे ही हाथी पहुंचे वन विभाग सकते में आ गया। हालांकि सुबह से ही विभाग ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर लिए थे। इस क्षेत्र के सभी गांवों में मुनादी कर ग्रामीणों को सचेत कर दिया गया। वहीं सभी स्कूल भी बंद कर दिए गए। वन व पुलिस की टीम की लगातार पेट्रोलिंग कर रही है। किसी तरह जनहानि या मलहानि नहीं हुई है।
हाथियों का यह वहीं दल है, जो पहले रायगढ़ जिले और उसके बाद जांजगीर- चांपा जिले में पहुंचा। मस्तूरी के करीब पहुंचने की सूचना के बाद बिलासपुर वन मंडल ने वन कर्मियों की ड्यूटी लगा दी थी। लेकिन वे इस क्षेत्र से नहीं आए और आगे बढ़ गए। विभाग को लगा शायद बलौदा होते कोरबा की तरफ लौट जाएंगे। लेकिन सीपत से लगे नीलागर नदी के किनारे आकर रुक गए।
इसकी सूचना मिलने के बाद आनन – फानन में वन अमला मौके पर पहुंचा। इसके साथ ही उनका मार्ग बदलने के लिए कुछ सड़को में बेरीकेड लगा दिए गए। पूरी रात निगरानी भी गई। टार्च की रोशनी और हल्ला करते हुए यह प्रयास किया गया कि हाथी बिलासपुर की सीमा में प्रवेश न करें। तमाम कोशिशों के बावजूद हाथी नदी पार कर जिले में पहुंच गए।
अभी यह हाथी बिलासपुर वन परिक्षेत्र के सोंठी सर्किल अंतर्गत नवापारा से लगे जंगल मे मौजूद है। हाथियों की धमक से गांव में दहशत का माहौल है। इसके अलावा क्षेत्र के स्कूलों को भी बंद करा दिया गया। नवापारा बिटकुला, खम्हरिया , सोंठी व जेवरा समेत आसपास के सभी स्कूलों में दो दिन से पढ़ाई नहीं हो रही है।
किसानों के चेहरे पर चिंता
इस क्षेत्र में खेतों में रवि फसल की बोआई हुई है। हाथियों की धमक से किसानों की चिंता बढ़ गई है। वह इस बात को लेकर चिंतित है कि कहीं हाथी फसल को न रौंद दें। इससे उनका बड़ा नुकसान होगा। हालांकि विभाग इस तरह की नुकसानी पर मुआवजा देता है। पर पूरी भरपाई नहीं हो पाती है।
खोन्द्रा पहुंचे तो बढ़ जाएगी मुश्किलें
हाथियों की जिस तरह मूमेंट है, उससे यह माना जा रहा है कि हाथियों का झुंड खोन्द्रा के रास्ते कोरबा जा सकता है। यदि ऐसा हुआ तो परेशानी बढ़ सकती है। दरअसल इस क्षेत्र में पहाड़ है। इसलिए वह बस्ती के रास्ते जा सकते हैं। यह ग्रामीणों के लिए खतरा साबित हो सकता है।