रायगढ़। जंगली हाथियों के उत्पात से जुनवानी- बंगुरसिया इलाके में जंगल और शहर सटे ग्रामों के ग्रामीण दहशत के साए में जीने को मजबूर हैं। जंगलों में करीब 1 माह से 15 हाथी डेरा डाले हैं। हाथियों के दल द्वारा सप्ताह भर में दर्जन घर से अधिक ग्रामों के ग्रामीणों के खेत में लगी और खलिहान में रखी फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। आलम यह है कि शाम ढलते ही हाथियों के चिंघाडो से गांव गूंज उठता है, भय के साए में भयभीत ग्रामीण आसपास सुरक्षित स्थानों में शरण लेने को मजबूर हैं। जबकि वन महकमे की उदासीनता से हाथियों का उत्पात थमने का नाम नही ले रहा है।
रायगढ़ जिला मुख्यालय से लगभग 8 किलोमीटर दूर स्थित बंगुरसिया वन परिक्षेत्र के जंगल मे हाथी इन दिनों डटे है। जिसमें पखवाड़े भर से बंगुरसिया जुनवानी गांव में दिन तथा रात के अंधेरे में आकर दहशत का माहौल चिंघाडो से बनाते है। ततपश्चात लोगो मे अफरा तफरी की परिस्थितियों के बीच हाथी ग्रामीणों के घर मे तोड़फोड़ तथा भोजन के स्वरूप में धान चावल और बाड़ी में उगे सब्जियों को खाकर उत्पात मचाते है। इसी बीच शुक्रवार की रात जंगल से भटककर 3 हाथी अस्पताल के बाउंड्री तथा अन्य लोगो के घरों को तोड़ा है। जबकि दो हाथी धान मंडी में उत्पात मचाते रहे। वही सरकारी अस्पताल परिसर में हाथी आने जानकारी मिलते ही मौके पर गांव के लोगों की भारी भीड़ मौके पर जुट गई।
साथ ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंच लोगों को हाथी से दूरी बनाये रखने अपील की गई और करीब ढाई घंटे तक की मशक्कत, हो – हल्ला के बाद हाथी को वापस जंगलों की ओर खदेडा जा सका। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में हाथी के पहुंचने वहां मौजूद लोगों में दहशत का माहौल निर्मित हो गया था। हाथी के वापस जंगल में जाने के बाद ही उन्होंने राहत की सांस ली। जुनवानी गांव के ग्रामीण इसी भय के साय में जीने को मजबूर है। यह स्थिति रात में दुगना हो जाती है जबकि दिन में भी इसका भय बना रहता है।
जुनवानी – बंगुरसिया गांव जंगल के मध्य बसा है यहां का हर निवासी पुरखों की जमीनों पर खेती किसानी कर जीविकोपार्जन करते आए है। वहीं, विभाग की टीम क्षतिपूर्ति का केवल आंकलन तथा मुआवजा तक सीमित है। जिसके चलते लोगो मे नाराजगी है इसके अलावा वे मानवद्वंद से भी आशंकित है। वन्य जीव तथा मानव जीवन को सुरक्षित रखने के लिए बेहतर योजना के साथ जमीनी स्तर में कवायद करने की मांग किए है।
रायगढ़ जिले के जंगलों में विचरण करने वाले हाथियों का दल
बेघर होते जा रहे गांव के ग्रामीण
गांव के ग्रामीणों ने बताया कि वे पूरी रात अड़ोस-पड़ोस के पक्के मकानों अपनी जान की सुरक्षा करने में लगे है। जबकि गर्मी में यही ग्रामीण गांव में मौजूद ग्रामीणों के पक्के मकानों में शरण लेते है। वर्तमान में बारिश का मौसम है। जिसके चलते उन्हें कई तरह की समस्या स्ज जूझना पड़ रहा है। इस बीच कई ग्रामीण जिनके घरों को हाथी ने तोड़ा है वे रिश्तेदारों के यहां शरणार्थी बने है। वहीं, कई खुद का मकान होने के बाद भी किराए में रहने को मजबूर है।
प्रभावितों को अब तक नही मुआवजा
कई ग्रामीणों ने बताया कि बीते दिन करूणा सागर, परदेशी साहू, विदेशी साहू, मंगलू साहू, ननकी साहू की फसल को हाथी ने बर्बाद कर दिया। जबकि आधा दर्जन से अधिक ग्रामीणों का मकान भी ढहा दिए है। ग्रामीणों ने बताया कि वन विभाग की टीम मौका मुआयना की है। नुकसान का आंकलन भी हो चुका है लेकिन अब तक राहत राशि उन्हें नही मिला है । ग्रामीणों ने बताया कि राहत राशि मिलते ही महिला समूह से लोन लेकर वे घर की मरम्मत करेंगे। जल्दी मिल जाए तो बेहतर होगा।
चिंघाड के साथ हाथी पहुंचता है गांव
रायगढ़ जिले दो वन मंडल है। जिसमें सबसे ज्यादा हाथी धरमजयगढ़ मे है। रायगढ़ वन मंडल में हाथियों की संख्या फिलहाल करीब 60 के आसपास है। दोनों वहन मंडल में हाथी कई दलों में बटकर जंगलों में विचरण कर रहे है। इसके अलावा इन्हीं दलों से भटका हुआ हाथी गांव में आकर सबसे अधिक उत्पात मचाते है। हाथी अपनी मौजूदगी का अहसास कभी दबे पांव तो कभी आक्रमक रुख से चिंघाडो के साथ गांव आ रहे है।
रतजगा करने पर मजबूर
जुनवानी गांव के अनिल मिंज ने बताया कि गांव में लगातार हाथी आ रहे हैं। घरों को तोड़फोड़ भी कर रहे है। हम लोग रतजगा करने को मजबूर है। हाथी को भगाने के लिए रात भर चिल्लाना पड़ता है हल्ला करना पड़ता है। जिसके चलते मेरा गला भी जाम हो गया है। डर लगता है पर अच्छी बात यह है कि अभी तक जनहानी नही हुई है। सरकार और विभाग को कोई ऐसी रणनीति और योजना बनाना चाहिए जिससे मानव द्वंद तथा हाथियों को भी सुरक्षित माहौल मिल सके। सबका जीवन सुरक्षित रहे।
मकान टूटा, अब किराये में रहते हैं
जुनवानी गांव के शांति यादव ने बताया कि जंगल से लगा हुआ हमारा गांव है। वर्षो से हम लोग यहां निवासरत है। इस बस्ती में सभी समाज वर्ग के लोग निवासी है। बीते दिन मेरे मकान को हाथी ने क्षतिग्रस्त किया है। पैर भी चोटिल हुआ है। अब मकान टूट गया है तो किराए में परिवार के साथ रह रहे है। पहले हाथी आते थे पर गांव की ओर नही आते थे। अब उनका रहवास में बदलाव है।

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