Home मध्यप्रदेश Demand for gun license: विधानसभा चुनाव आते ही बढ़ी बंदूक लाइसेंस की मांग, सिफारिशें भी शुरू

Demand for gun license: विधानसभा चुनाव आते ही बढ़ी बंदूक लाइसेंस की मांग, सिफारिशें भी शुरू

by Naresh Sharma

Demand for gun license: वरुण शर्मा. ग्वालियर। हथियारों के शौक के लिए कुख्यात ग्वालियर-चंबल अंचल में आगामी विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही बंदूक की चाहत बढ़ गई है। हर चुनावी साल में ऐसा होता है। इस बार भी ऐसा ही है। रौब का यह शौक जान पर भारी भी है। ग्वालियर जिले में हर साल, जितने हथियारों के लाइसेंस बनते हैं, उसके तीन गुना से ज्यादा आवेदन कलेक्ट्रेट पहुंचते हैं। अब आंकड़ा 35 हजार छूने की ओर है, जो ग्वालियर चंबल अंचल में सबसे ज्यादा है। हथियारों के शौकीनों में सबसे ज्यादा कोई और नहीं माननीयों के खास लोग हैं, जिनके लिए लंबी चौड़ी सूची कलेक्ट्रेट पहुंचती है। खुद केंद्रीय मंत्री से लेकर सांसद और विधायक अपने चहेतों के नाम लेटरहेड पर भेज रहे हैं। पिछले दिनों से हथियारों के आवेदन के साथ-साथ सिफारिशों की संख्या भी बढ़ी है। वहीं जिला प्रशासन भी माननीयों की सिफारिश के आगे दवाब में रहता है। हथियारों का यह शौक जान पर भारी पड़ रहा है। हर्ष फायर में लगातार जान जा रहीं हैं। प्रशासन का इस पर ध्यान नहीं है।

यहां बता दें, ग्वालियर जिले में कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचने के बाद सबसे ज्यादा भीड़ जिस कक्ष में दिखे, समझ लीजिए कलेक्ट्रेट की शस्त्र शाखा यही है। हथियारों के आवेदन लिए तो कोई अपने आवेदन की स्थिति जानने घंटों कलेक्ट्रेट में खड़े दिखते हैं। कलेक्ट्रेट में सबसे ज्यादा हथियार लाइसेंस के आवेदकों की ही सिरदर्दी है। खुद कलेक्टर ने इसी कारण अपने कक्ष के आगे संदेश लिखवाया है कि बंदूक लाइसेंस के संबंध में संपर्क न करें।

यहां फेल प्रशासन: जानें जा रहीं ,जिम्मा किसका

हथियार लाइसेंस के शौकीन कम होंगे, न सिफारिशें, लेकिन हथियारों के दुरुपयोग पर अंकुश कौन लगाएगा। इसको लेकर प्रशासन का कोई ठोस एक्शन प्लान नहीं है। मैरिज गार्डनों पर सहालग के समय जरा सा बैनर लगवा देना कि हथियार लाना प्रतिबंधित है, इससे काम नहीं चलता है। हर्ष फायर को लेकर मैरिज गार्डन से थाना ,सीएसपी, एसडीएम, तहसीलदारों को जिम्मेदारी दी जाना चाहिए। हर बार घटना होती है और जान जाती है, लेकिन प्रशासन कभी सख्ती नहीं करता है।

हर साल 3500 लगभग आवेदन, प्रक्रिया में होते निरस्त

हर साल लगभग 3500 से ज्यादा आवेदन कलेक्ट्रेट शाखा में हथियार के लिए पहुंचते हैं, लेकिन सभी नहीं बनते हैं। औसतन एक हजार लाइसेंस हर साल जारी होते हैं। दस्तावेजों से लेकर पुलिस वेरीफिकेशन, प्रशासन के वेरीफिकेशन प्रक्रिया को पूरी न करने वाले आवेदन रिजेक्ट कर दिए जाते हैं। बड़ी संख्या में फाइलें ऐसी भी होती हैं, जिनकी प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ती है। पर्दे के पीछे की कहानी यह कि प्रशासन जितने आवेदन आते हैं उतने लाइसेंस जारी नहीं करता है। वरना इस तरह संख्या बहुत ज्यादा हो जाएगी।

जिले में प्रति वर्ष इतने शस्त्र लाइसेंस बनें

2023 में अब तक जारी लाइसेंस 380

2022 में जारी लाइसेंस 1117

2021 में जारी लाइसेंस 902

2020 में जारी लाइसेंस 791

2019 में जारी लाइसेंस 585

2018 में जारी लाइसेंस 273

2017 में जारी लाइसेंस 412

2016 में जारी लाइसेंस 584

जिले में अबतक कुल जारी लाइसेंस 34934

सिफारिशें: सबसे आगे भारत सिंह फिर प्रद्युम्न सिंह और मुन्नालाल

माननीय भी हथियार लाइसेंस की सिफारिश में पीछे नहीं हैं। जिले में सबसे पहले नंबर पर हथियार लाइसेंस की सिफारिश में प्रदेश के राज्य मंत्री भारत सिंह कुशवाह हैं। दूसरे नंबर पर उर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर और बीज विकास निगम के अध्यक्ष व पूर्व विधायक मुन्नालाल गोयल हैं। इसके बाद तीसरे नंबर के पायदान पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, सांसद विवेक शेजवलकर, इमरती देवी, प्रवीण पाठक आते हैं। कुछ माननीयों की स्थिति यह है कि 50 से ज्यादा नामों की सूची आती है।

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