Home छत्तीसगढ़ रायगढ़ जिले में ग्रामीणों ने किया आर्थिक नाके बंदी जिला प्रशासन बना मूकदर्शक, 1500 से अधिक ट्रक ड्राइवरों के सामने रोजगार और भुखमरी की समस्या गहराई

रायगढ़ जिले में ग्रामीणों ने किया आर्थिक नाके बंदी जिला प्रशासन बना मूकदर्शक, 1500 से अधिक ट्रक ड्राइवरों के सामने रोजगार और भुखमरी की समस्या गहराई

by KhabarDoot Desk

  • कुंजेमुरा क्षेत्र में सड़क की हालत दयनीय, ग्रामवासियों द्वारा अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी की घोषणा
  • प्रशासन तक नहीं पहुंच रही जनता की आवाज़, जनता के सब्र का इम्तिहान कब तक?
  • राज्य को भी हो रहा करोड़ों के राजस्व का नुकसान

रायगढ़ : प्रदेश के सबसे बड़े खनिज और करोड़ों के राजस्व जिले रायगढ़ के घरघोड़ा तहसील के कुंजेमुरा ग्राम में सड़क की बदहाली और प्रशासन की निष्क्रियता के खिलाफ क्षेत्रवासियों ने अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी शुरू कर दी है। इस प्रदर्शन के चलते 1500 से अधिक ट्रक ड्राइवर बेरोजगार हो गए हैं और भुखमरी की समस्या गहराने लगी है। वहीं राज्य को भी हर दिन करोड़ों के राजस्व से भी हाथ धोना पड़ रहा है।

दरअसल ग्राम कुंजेमुरा से मिलूपारा तक की रोड बरसात के पहले ही पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। कई बार अनुरोध के बाद भी जिला प्रशासन ने इसे ठीक कराने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। लोगों ने कई बार शासन-प्रशासन से अनुरोध किया, मगर समस्या जस की तस बनी हुई है। अब स्थिति यह हो गई है कि सड़क पर चलना भी मुश्किल हो गया है। क्षेत्रवासियों ने प्रशासन की उपेक्षा के खिलाफ 31 मार्च 2025 से अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी करने का निर्णय लिया था। उनका कहना है कि उनकी समस्याओं को शासन प्रशासन तक नहीं पहुंचाया जा रहा है, और अब उन्हें अपनी आवाज उठाने के लिए सड़क पर उतरने की आवश्यकता महसूस हो रही है।

जिला प्रशासन की इस उदासीनता का खामियाजा क्षेत्र के हजारों ट्रक ड्राइवरों को भुगतना पड़ रहा है। कारण की क्षेत्र में जिंदल पॉवर लिमिटेड(जेपीएल), शारदा कोयला खदान इत्यादि सहित कई ऐसे उद्योग हैं जो कि अपने संयंत्रों के लिए आवश्यक कोयले सहित अन्य खनिज पदार्थों का परिवहन सड़क मार्ग से किया जाता है। जो की इन गांवों की सड़क संबंधी पुरानी मांगों के पूरा न होने की वजह से अब यहां चलने वाली हजारों ट्रकों के पहिये अब थम गए हैं। वहीं इससे रोजगार प्राप्त ड्राइवरों के सामने भी अब भूखमरी और रोजगार की समस्या भी गहराने लगी है। साथ ही इससे सड़क परिवहन ऊद्योग भी गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा हैं। जिससे गाड़ी मालिको को अकारण नुक़सान उठाना पड़ रहा है। वहीं ड्राइवरों के मुख्य आय का स्रोत भी अब संकट में है।

जेपीएल कोयला ढोने वाले एक ट्रक ड्राइवर सोहन सिंह राठिया ने बताया कि, “मैं इसी क्षेत्र का रहने वाला हुँ। और पिछले पाँच सालों से ट्रक में कोयला ढुलाई का कार्य कर रहा हूँ। हमें ट्रक में ट्रिप के हिसाब से ही पैसे मिलते हैं जिससें मैँ अपने परिवार का भरण पोषण करता हुँ। पिछले तीन दिनों से इस अनिश्चितकालीन आर्थिक नाके बंदी से मेरे जैसे कई ड्राइवरों को नुकसान तो ही रहा है। और अगर इसे जल्द से जल्द संज्ञान में नहीं लिया गया तो हम सब के सामने भुखमरी की स्थिति निर्मित होने लगेगी।“

इस सड़क की खराब हालत के कारण क्षेत्रवासियों को आने-जाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, इस समस्या के बारे में कई बार शासन और प्रशासन को सूचित किया गया है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। ग्रामवासियों का कहना है कि सड़क का निर्माण कार्य शुरू करने के लिए कई बार प्रशासन से अनुरोध किया गया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके अलावा, जेपीएल कंपनी द्वारा राख की ढुलाई भी कुंजेमुरा के रास्ते से की जाती है, जिससे सड़क में राख गिरने से रास्ता धुंधला हो जाता है और दुर्घटनाएं बढ़ जाती हैं। डम्फर की तेज गति और सड़क पर राख व मिट्टी गिरने से जाम की स्थिति बनी रहती है, जिससे लोगों को और अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

ग्रामवासियों ने बताया कि वे कई बार इस समस्या को लेकर शासन-प्रशासन को अवगत करा चुके हैं, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला। इसलिए मजबूरन उन्हें 31 मार्च से अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी शुरू कर दी है। जब तक प्रशासन सड़क निर्माण और राख ढुलाई से जुड़ी समस्याओं का हल नहीं निकालता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। जनप्रतिनिधियों ने चेतावनी दी है कि अगर प्रशासन ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो विरोध प्रदर्शन और उग्र हो सकता है।

अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन कब जागता है और इस समस्या का समाधान करता है, या फिर क्षेत्र की जनता को अपनी मांगें मनवाने के लिए और बड़े आंदोलन की ओर बढ़ना पड़ेगा। इस स्थिति में सबसे अधिक प्रभावित ट्रक चालक और स्थानीय व्यापारी हो रहे हैं। ट्रक चालकों की बेरोजगारी से उनके परिवार भुखमरी के कगार पर आ गए हैं।

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