Home रायगढ़ राजस्व भूमि होने के कारण ग्राम पंचायत की एनओसी आवश्यक नहीं-एसईसीएल प्रबंधन, आरटीआई के तहत अद्भुद, अविश्वसनीय, अकल्पनीय जवाब, कार्यप्रणाली पर सवाल

राजस्व भूमि होने के कारण ग्राम पंचायत की एनओसी आवश्यक नहीं-एसईसीएल प्रबंधन, आरटीआई के तहत अद्भुद, अविश्वसनीय, अकल्पनीय जवाब, कार्यप्रणाली पर सवाल

by Naresh Sharma

रामकृष्ण पाठक की रिपोर्ट
कुड़ेकेला:- कॉरपोरेट घरानों द्वारा तमाम नियम कानून को धता बताते हुए परियोजना की स्वीकृति प्राप्त करने का इतिहास विवादों से भरा रहा है। जिम्मेदारों के हौसले इतने बुलंद कि वह अपनी अनैतिक कारगुजारी छिपाने के लिए ऐसे कुतर्क का सहारा ले रहे हैं, जो नामी गिरामी कंपनी प्रबंधन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करता है।इसके साथ ही प्रबंधन के जिम्मेदारों की इस तरह की कार्यप्रणाली से शासन की छवि न केवल धूमिल होती है, बल्कि यह सरकारी दिशानिर्देश को भी स्पष्ट रुप से ख़ारिज करता है। ऐसे में यह कहावत चरितार्थ होती नजर आती है जिसमें कहा गया है कि एक झूठ छिपाने के लिए सौ और झूठों का सहारा लेना पड़ता है। यह पूरा मामला रायगढ़ एरिया के छाल एसईसीएल सब एरिया के विस्तार परियोजना में शामिल अतिरिक्त डीम्ड फारेस्ट एरिया से संबंधित है। मिनी रत्न दर्जा प्राप्त कंपनी एसईसीएल प्रबंधन द्वारा ग्राम पंचायत से जुड़े मामले पर आरटीआई के तहत जिस तरह की सूचना दी गई है वह अपने आप में अद्भुद, अविश्वसनीय और अकल्पनीय है।

रायगढ़ जिले के छाल एसईसीएल सब एरिया के विस्तार परियोजना, जिसे हाल ही में वन मंजूरी मिली है, के लिए आवेदक संस्थान द्वारा वन मंजूरी हेतु प्रस्तुत अतिरिक्त प्रस्ताव से जुड़ी एक जानकारी आरटीआई एक्ट के तहत मांगी गई। इस मामले में जो सूचना प्रबंधन की ओर से दी गई है वह अपने आप में बताता है कि इस प्रोजेक्ट की फाइनल स्टेज की वन मंजूरी प्राप्त करने हेतु अनिवार्य रूप से पेश किए जाने वाले दस्तावेजों में वृहद स्तर पर अनियमितता बरती गई है। एसईसीएल से जो सूचना मांगी गई, वह इस प्रस्ताव के लिए कराए गए ग्राम सभा से संबंधित है। विदित है कि किसी भी प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन हेतु तमाम सरकारी प्रक्रियाओं का पालन करना अनिवार्य होता है। इसी के तहत ग्राम सभा की प्रक्रिया और एनओसी प्राप्त करना भी प्रोजेक्ट की स्वीकृति का अनिवार्य है। लेकिन अधिनियम के तहत सूचना दिए जाने हेतु निर्धारित समय के पश्चात अब एसईसीएल प्रबंधन की ओर से इस मामले को लेकर जो जानकारी उपलब्ध कराई गई है वह न केवल अप्रत्याशित है बल्कि शासन के उस आदेश को स्पष्ट रुप से झूठा साबित करता है, जिसमें कहा गया है कि प्रोजेक्ट की फाइनल वन मंजूरी प्राप्त करने हेतु संबंधित ग्राम पंचायत की एनओसी प्राप्त करना अनिवार्य है। इसके विपरीत एसईसीएल प्रबंधन द्वारा इस मामले में आरटीआई के तहत कहा गया है कि राजस्व भूमि होने के कारण इसके लिए ग्राम पंचायत के अनापत्ति प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं है। यह जानकारी छाल एसईसीएल सब एरिया के भू राजस्व विभाग के प्रभारी अधिकारी के हवाले से, यानी उनके पत्र के आधार पर दी गई है। इससे इस बात को पूरा बल मिलता है कि सभी जिम्मेदारों के द्वारा छाल एसईसीएल एक्सटेंशन प्रोजेक्ट से संबंधित अनिवार्य दस्तावेजी कार्यवाही पूर्ण करने के लिए ग्राम पंचायत से जुड़े मामले पर नियमों के विपरीत जाकर कार्यवाही की गई है। यह भी संभव है कि अन्य प्रमाणित दस्तावेज़ मिलने पर इस मामले से जुड़े और भी सनसनीखेज खुलासे हों, जिसमें क्षेत्र के दिग्गज माननीयों की हैरतअंगेज कार्यप्रणाली उजागर हो सकती है।

ग्राम पंचायत से अनापत्ति प्रमाणपत्र लिया जाना अनिवार्य – डिगेश पटेल एसडीएम धरमजयगढ़
इस पूरे प्रकरण में धरमजयगढ़ एसडीएम डिगेश पटेल ने कहा कि ग्राम पंचायत में किसी भी तरह की औद्योगिक और अन्य चिन्हांकित गतिविधियों के लिए ग्राम पंचायत की एनओसी प्राप्त करना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि यदि ग्राम सभा प्रस्ताव ख़ारिज कर देती है तो विषेश परिस्थितियों में जिले के कलेक्टर जनहित में अनुमति देने के लिए अधिकृत हैं लेकिन प्रस्ताव ग्राम सभा में रखा जाना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि धरमजयगढ़ 5 वीं अनुसूची क्षेत्र अंतर्गत आता है। इस लिहाज़ से संबंधित ग्राम पंचायत से अनापत्ति प्रमाणपत्र प्राप्त लिया जाना बेहद जरुरी है।

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