Home मध्यप्रदेश Crime File Indore: करे कोई-भरे कोई, अफसरों की मुसीबत बनी घोटालेबाज

Crime File Indore: करे कोई-भरे कोई, अफसरों की मुसीबत बनी घोटालेबाज

by Naresh Sharma

निलंबित जेल अधीक्षक (उज्जैन) उषाराज सेंट्रल और जिला जेल के अफसरों के लिए मुसीबत बन चुकी है। कभी उषाराज के साथ पदस्थ रह चुके अफसर ही उसके खिलाफ लिखा-पढ़ी कर रहे हैं। उषाराज के कारण इन अफसरों से भी सवाल-जवाब शुरू हो चुके हैं। 15 करोड़ के फर्जीवाड़े में लिप्त उषाराज को शुरुआत में सेंट्रल जेल भेजा था। वहां सामान की तलाशी में डायपर के अंदर से 50 हजार रुपये बरामद हो गए। अधीक्षक अलका सोनकर ने कोर्ट और जेल मुख्यालय को खबर कर उषाराज को जिला जेल भिजवा दिया। जेल बदली कर अफसरों ने राहत भरे दिन गुजारे ही थे कि यहां भी उषाराज के कब्जे से फोन बरामद हो गया। अब दोनों जेल के अफसरों से जवाब मांगे गए हैं। सेंट्रल जेल वालों से पूछा गया है कि उषाराज की तलाशी लिए बगैर कैसे जेल बदली, जबकि जिला जेल वालों पर जानकारी छुपाने का अंदेशा जताया गया है। उनसे पूछा कि इतनी देरी से क्यों बताया।

पार्टी गर्ल के फोन में पुलिसवालों के नंबर

अफसरों के नाम से तोड़बट्टा करवाने वाली मुस्कान ओटवानी पुलिस अफसरों के लिए सिरदर्द बन चुकी है। उसकी काल डिटेल डीसीपी कार्यालय में चर्चा का विषय बनी हुई है। कई पुलिसकर्मी मुस्कान के सीधे संपर्क में थे। मुस्कान और उसके दोस्त समीर ने गुमाश्ता लाइसेंस घोटाले में गिरफ्तार आलोक नेगी से ढाई लाख रुपये ले लिए थे। नेगी से कहा गया था कि वह बड़े अफसरों की करीबी है। उसके विरुद्ध दर्ज मामले में तुरंत जमानत दिलवा देगी। जोन-2 के एडिशनल डीसीपी राजेश व्यास ने गंभीर धाराएं लगवा दी और मुस्कान व समीर पर ब्लैकमेलिंग का केस बनाया सो अलग। एडीसीपी ने मुस्कान की काल डिटेल निकाली तो यह देखकर चौंक गए कि कई पुलिसवाले मुस्कान के संपर्क में थे। जब मुस्कान से बातचीत का पूछा तो कहा पुलिसकर्मी पब में पार्टी करने के लिए बुलाते थे। मुस्कान पबों में जाने की शौकीन रही है।

टीआइ के रि-एक्शन से बैकफुट पर डीसीपी

पहली बार डीसीपी बने आइपीएस पुलिस महकमे में चर्चा में बने हुए हैं। इस बार उनकी चर्चा अचानक बदले रवैये की हो रही है। साहब एक टीआइ के रि-एक्शन के बाद बैकफुट पर आ गए हैं। उनके इस रवैये से जोन के सारे थाना प्रभारी सुकून में हैं। 2018 बैच के आइपीएस की पहली पोस्टिंग हुई है। शुरुआत में खूब थाना प्रभारियों से लेकर एडीसीपी तक को अपशब्द बोले गए। वायरलेस सेट और फोन पर भी अभद्रता करने लगे। गुस्से में लाल एक टीआइ ने पहले साहब को फोन पर खरीखोटी सुनाई और बाद में आवेदन लेकर पहुंच गए कि मुझे थाने से हटा दीजिए। टीआइ तो पुलिस लाइन चले गए लेकिन साहब के दुर्व्यवहार की खबरें भी मुख्यालय तक जा पहुंचीं। इस घटनाक्रम के बाद साहब बैकफुट पर आ गए हैं। स्टाफ और थाना प्रभारियों से कम ही बात करते हैं। हां, वाट्सएप पर कुछ ग्रुप जरूर बनाए हैं जिनमें थानों पर होने वाली कार्रवाई, इश्तगाशा की रिपोर्ट लेते रहते हैं। कभी-कभी उनकी पीड़ा भी बाहर आ जाती है। कहते हैं मुझे तो वापस बालाघाट जाना है। मुझको मर्जी के विरूद्ध जबरदस्ती इंदौर भेजा गया है।

आयुक्त के आदेश हवा में उड़ा रहे थाना प्रभारी

नवागत पुलिस आयुक्त मकरंद देऊस्कर थानों की गत सुधारने में लगे हैं लेकिन थाना प्रभारी मर्जी से ही चलते हैं। आयुक्त कार्यालय से होने वाले पत्राचार का भी उनकी सेहत पर फर्क नहीं पड़ता है। आयुक्त ने शुरुआत में फर्जी कार्रवाइयों पर सख्ती दिखाई है। लूट को चोरी में बदलने वालों की खिंचाई भी करवाई जा रही है। अब धड़ाधड़ लूट के प्रकरण दर्ज करवाए जा रहे हैं। लेकिन थाना प्रभारी भी कम चालाक नहीं हैं। आयुक्त ने एफआइआर का क्या बोला थाना प्रभारियों ने एफआइआर लिखनी ही बंद कर दी। कनाड़िया और खजराना में तो आरोपितों के पकड़े जाने पर एफआइआर हुई।

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