Home सेहत Special Story: जानलेवा बनता जा रहा है H3N2 वायरस, जानिए किसे है खतरा और कैसे करें बचाव

Special Story: जानलेवा बनता जा रहा है H3N2 वायरस, जानिए किसे है खतरा और कैसे करें बचाव

by Naresh Sharma

Special Story: भारत में एच3एन2 (H3N2) के रूप में जाना जाने वाला इन्फ्लूएंजा वायरस तेजी से फैल रहा है और अब इससे होनेवाली मौतों की संख्या बढ़कर तीन हो गई है। देश में जहां लोगों में लंबी बीमारी और खांसी जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं, वहीं एच3एन2 इन्फ्लुएंजा इंफेक्शन के मामले भी तेजी से बढ़े हैं। यह इन्फ्लुएंजा ए वायरस का एक सबटाइप है जो पहले कई इन्फ्लूएंजा के प्रकोपों ​​का कारण रहा है। इसे लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने कई राज्यों को एडवाइजरी जारी की है और लोगों से सावधानी बरतने को कहा गया है।

जानिये क्या है H3N2?

भारत में इन्फ्लूएंजा वायरस के तीन सबटाइप हैं – इन्फ्लुएंजा A H1N1pdm09, इंफ्लूएंजा A H3N2 और इंफ्लूएंजा B Victoria। इनमें से H3N2, देश में सर्वाधिक पाया जाने वाला सबटाइप है। डॉक्टरों के मुताबिक H3N2 एक एंटीजेनिक ड्रिफ्ट और हल्का म्यूटेशन है। ये फ्लू के रुप में फेफड़े, नाक और गले पर हमला करता है।

किनको है खतरा?

डॉक्टरों के मुताबिक इससे लाइफ को खतरा नहीं है लेकिन अगर किसी रोगी को दो या उससे अधिक बीमारियां हैं तो मौत भी हो सकती है। H3N2 वायरस का खतरा बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को अधिक है क्योंकि यह इम्यूनिटी पर हमला करता है। जिन लोगों को अस्थमा, हृदय रोग, डायबिटीज, मोटापा और कमजोर इम्यूनिटी की शिकायत है उनको भी खतरा अधिक है।

कब खतरनाक है H3N?

  • ज्यादातर मामलों में ये दो हफ्ते में ठीक हो जाता है। लेकिन, ज्यादा देर तक रहे तो निमोनिया होने का खतरा रहता है।
  • इसका असर बढ़ने पर साइनस और कान में इंफेक्शन भी होने का जोखिम रहता है।
  • निमोनिया गंभीर हो जाए तो ऐसी स्थिति में हार्ट, ब्रेन और मसल्स में सूजन बढ़ सकती है।
  • इसकी वजह से हार्ट में मायोकार्डाइटिस (myocarditis), ब्रेन में एनसिफ़लाइटिस (Encephalitis) और मसल्स में मायोसाइटिस (myositis) हो सकता है।
  • कुछ मामलों में मरीज के मल्टी ऑर्गेन फेल्योर हो जाने का खतरा बढ़ सकता है और जान भी जा सकती है।

क्या हैं लक्षण?

इसके लक्षणों में बुखार, ठंड लगना, खांसी, सिरदर्द, जी मिचलाना, उल्टी करना, गले में दर्द, गले में खराश, मांसपेशियों और शरीर में दर्द, दस्त, छींक आना और नाक बहना और थकान शामिल है। इसे फ्लू की तरह माना जाता है और इलाज के तौर मुख्य रूप से आराम करना और लगातार लिक्विड डाइट लेते रहना बेहतर होता है ताकि शरीर अपने आप संक्रमण से लड़ सके।

कैसे फैलता है एच3एन2?

  • यह संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या बात करने पर निकलने वाली बूंदों के जरिए फैल सकता है।
  • जब कोई किसी ऐसी सतह के संपर्क में आने के बाद अपने मुंह या नाक को छूता है, जिस पर वायरस होता है।
  • संक्रमित व्यक्ति के सार्वजनिक स्थानों पर थूकने से इसके फैलने की संभावना बनती है।
  • संक्रमित लोगों से हाथ मिलाना, बगल में बैठकर भोजन करना, किस करना आदि से भी इसके फैलने की आशंका बढ़ती है।

कैसे करें बचाव?

कुछ सावधानियां बरतने से आप एच3एन2 इन्फ्लुएंजा के संक्रमण से बच सकते हैं। बार-बार साबुन और पानी से हाथ धोएं और अपने मुंह या नाक को न छुएं। बीमार व्यक्तियों के संपर्क में आने से बचें और छींकने या खांसने के दौरान मुंह और नाक को ढंकें। साथ ही भीड़ वाली जगहों से बचें और अगर जाना पड़े तो फेस मास्क का प्रयोग करें। खूब सारे तरल पदार्थ पीकर हाइड्रेटेड रहें ताकि शरीर इससे बचा रहे।

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